SUBHANSHU SHUKLA शुभांशु शुक्ला जायेंगे अंतरिक्ष भारत रचेगा इतिहास।
40 साल के बाद फिर मौका आया है राकेश शर्मा के बाद SUBHANSHU SHUKLA अंतरिक्ष में तिरंगा लहराने वाले हैं आए जानते है पहले शुभांशु शुक्ला के बारे में
SHUBHANSHU SHUKLA लखनऊ के रहने वाले हैं उनका जन्म 10 अक्टूबर 1985 में हुआ पिता का नाम शंभू दयाल शक्ला और उनके मात का नाम आशा शक्ला है ।शुभांशु शुक्ला भारतीय वायु सेना के अनुभवी टेस्ट पायलट थे अपनी स्कूली शिक्षा सिटी मॉन्स्टसेरी स्कूल से पूरी की इसके बाद राष्ट्रीय अकादमी (NDA) से सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त किया और भारतीय विज्ञान (l l S C) बेगलुरु से एयरोस्पेस इंजीनियर मे M.Tech किया है
(SUBHANSHU SHUKLA)सुखोई- 30, मिग- 21S, जगुआर,Mkl जैसे लड़ाकू विमानों को उड़ा चुके हैं।
राकेश शर्मा के बाद इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर कदम रखने जा रहे है शुभांशु शुक्ला 41 साल बाद फिर से ये एक सुनहरा मौका मिला है अपने देश के लिए कुछ करने का शुभांशु शुक्ला को इस मिशन के लिए खास चुना गया है ।
ये सफर 28 घंटे का सफर है जो धरती से इंटरनेशनल स्पेस तक सुरक्षित पहुंचाएग 11 जून को शाम 5:30 बजे को लॉन्च किया जाएगा। 2बार ये mission टल चुका था एक दिन के लिए liquid oxygen risavo के कारण…. ये फ्लोरिडा में अब ये मिशन 4 बार टल चुका है कभी मौसम खराब होने के कारण से नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा। Axiom -4 mission का अनुमानित खर्चा ₹2,000 करोड़ है और इसमें भारत सरकार ने कुल मिलाकर ₹550 करोड़ इस mission में लगाए हैं। शुभांशु शुक्ला के साथ जाने वाले यात्री mission commander:- peggy whitson
Mission specialst: stawosz Uznanski – wishiewski
Mission commander:- Tibor kapo
ये सब वायु सेना के अधिकारी है। Axiom mission- 4 14 दिन तक स्पेस में रहेंगे वे वह कई खास प्रयोग करेंगे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर shubhanshu Shukla जीरो ग्रैविटी में के जीव जतु के प्रजाती जीवों के पनपने का अध्ययन करेंगे।ऐसे बहुत से प्रयोग करेंगे। यह मिशन न केवल भारत के लिए एक गर्व का पल है बल्कि सभी देशों के लिए है । ये मिशन 2027 के लिए बहुत लाभदायक है गगयान मिशन प्रोजेक्ट की तैयारी चल रही है 2027 में लॉन्च करने के लिए
1.कंप्यूटर स्क्रीन के द्वारा दिमाग पर दिमाग होने वाले प्रभाव उसकी की जांच।
2.माइकोएल्गी।
3.सायनोबैक्टीरिया।
4. मांसपेशियां के कमजोर होने के जांच और उपयोग ऐसे बहुत सारे प्रयोग करने वाले ह
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जानते है रॉकेट के बारे मे जानकारियां
फाल्कन 9 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा इस मिशन रॉकेट की सबसे खास बात यह 46 बार इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर जाकर वापस लौट आया है। इसकी 51 मिशन सफल रहे हैं
इसकी ऊंचाई 8.1 मीटर है 4 मीटर चौड़ा है इस रॉकेट की खास बातें लॉन्च होते समय इसकी जो पेलोड वजन 6000 किलो का होता हैं जबकि वापस धरती पर लौटते समय आधा वजन कम हो जाता है 3000 किलो का पेलोड होता है। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन करीब 28,000 km/hr की रफ्तार से चक्कर लगाता है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन 24 घंटे में 16 बार पृथ्वी की चक्कर लगाता है इसमें 6 बेडरूम, 2 बाथरूम,1 जिम और 360 डिग्री विंडो है इसमें सुविधा भी उपलब्ध है । इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर हमेशा कोई न कोई एस्ट्रोनोट रहते हैं नवंबर 2000 से कहा जाता है कि प्रयोग करते हैं। (ISS) इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन शुभाशुभ शुक्ला और उनके साथी के पहुंचते ही सबसे पहले एरटोनोट उनक स्वागत करेंगे ।
आपने साथ क्या क्या लेकर जा रहे हैं। SUBHANSHU SHUKLA
(l S S) पर आपने मन पसंद खाना लेकर जा रहे हैं जो उनको बहुत पसंद है आपने साथ कुछ खास यादें लेकर जायेंगे इस मिशन पर जाने के लिए उनके मात पिता और उनकी बहन का सपोर्ट है । उनके मात पिता खुश है कि उनका बेटा अपने भारत देश के लिए इतना बड़ा योग दान कर रहे हैं
SUBHANSHU SHUKLA एक मैसेज देना चाहते है। इस मिशन से वापस लौटने के बाद आपने देश मे अगली पीढ़ी को प्रेरित अवसर का प्रयोग बच्चों को देना सूक्त पैदा करने के लिए
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